Sunday, June 17, 2018

Prakrtik sankhyayo par vibhinn sankriyaye jod ghatana guna bhaag for nios students प्राकृत संख्याओ पर विभिन्न संक्रियाए –भाग ,जोड़ना ,गुणा ,घटाना )

प्राकृत संख्याओ पर विभिन्न संक्रियाए –भाग ,जोड़ना ,गुणा ,घटाना )
प्रशन 1 : - प्राकृत संख्या पर भाग कैसे संक्रिय होती है
जब P तथा q प्राकृत संख्याये होती है तथा PxQ= r होता है तो, हम करते है
   ‘r’ ‘p’ से विभाजित है तथा   ‘r’ ‘q’ से विभाजित है
              ‘p’ तथा ‘q’ में से प्रत्येक ‘r’ का एक  गुणनखंड है
   ‘r’ , ‘p’ तथा ‘q’ में से प्रत्येक का एक गुणज है
   हम चिन्ह ‘÷ ’ का प्रयोग करते है तथा लिखते है 
     r÷ p=   q तथा  q = p
 
उदहारण:-
  3x5=15  ( इसे हम कहते है )
 15 , 3 व 5 में से प्रत्येक से विभाजित है
 3 तथा 5 में से  प्रत्येक 15 का  एक गुणनखंड है
 3 तथा 5 में से प्रत्येक का एक गुणज 15 है
इसके  अतिरिक्त  हम यह देख  सकते  है 
(a) 1x12 =12     (b)  2x6=18     (c)   4x3  =12
इस प्रकार (a)(b)(c)  प्रदर्शित करते है कि  1,2,3,4,5,6  तथा १२ में  से  प्रत्येक 12  का  एक  गुणनखंड है
प्राकृत संखयो  1,2,3  के  विषय में  आप क्या सोचते है
ऐसी  कोई भी दो  भिन्न प्राकृत संख्याये नहीं है जिनका गुणनफल 1 हो अत:
 1 के केवल एक गुणनखंड 1 है
 क्यूंकि 1x2=2 तथा दूसरा संख्याओ का कोई एक युग्म ऐसा नहीं है जिनका गुणनफल 2 हो इस प्रकार 2 के केवल दो  गुणनखंड 1 व 2 है

पूर्ण संख्या purna sankhya kya hai

परिमेय संख्या क्या है ( परिमेय संख्या किसे कहते है उदहारण सहित )parimey sankhya kya hai
संख्या प्रणाली इतिहास,पूर्ण संख्या,परिमेय संख्या,प्राचीन गणन प्रणाली
प्राकृत संख्याओ पर घटाना संक्रिया
व्य्कलन से तात्पर्य हटाने  से है, वस्तुओ के समूह में हम कुछ को या सभी को हटा सकते है
   उदहारण
5 वस्तुओ में से हम 5 से कम अथवा सभी 5 वस्तुओ को हटा सकते है ,किसी वास्तु समूह से जब सभी वस्तुए हटा ली जाती है तो शेष कुछ नहीं रहता और कुछ नहीं रहने पर उसे  शून्य (0) द्वारा प्रदर्शित किया जाता है
p-p=0 (जहाँ p एक पूर्ण संख्या है )
प्राकृत संख्या पर गुणन नियम
गुणन किसी संख्या के स्वं के साथ बारम्बार योग को निरुपित करता है
उदाहरण
   3+3 को  3x2 द्वारा लिख सकते है
   3+3+3 को 3x3 द्वारा लिख सकते है
   3+3+3+3 को    3x4 द्वारा लिख सकते है
गुणन के गुण
a)      क्रम विनिमेय गुण:-
 जहाँ 5x4 =       4x5  
यदि p तथा q  दो प्राकृत /  पूर्ण  संख्याये  है   तो  p x q = q x p
अत: प्राकृत  तथा पूर्ण संख्याओ में गुणन क्रम विनिमय  है
b)      संव्वृतता का गुण :-   यदि p तथा q प्राकृतिक अथवा पूर्ण संख्याये है ,तो pxq भी एक प्राकृत अथवा पूर्ण संख्या होती है,
c)       सहचारी गुण:- (pxq)xr=px(qxr) (जहाँ p,q तथा r कोई तीन प्राकृत / पूर्ण संख्याये है
d)      गुणन तत्समक :- गुणन के सन्दर्भ में संख्या 1 का निमंलिखित विशेष गुण  है
Px1=1xp=p (जहाँ p एक प्राकृत   /  पूर्ण संख्या है )
अत: हम कह सकते है :- संख्या ‘1’ का गुणन तत्समक है
e)      गुणन का योग पर वितरण गुण :-
P x (q+r)   =  p x q + p x r
अत: हम कह सकते है “गुणन योग संक्रिया पर वितरण होता है
उदाहरण:-
          5 x (3+4)  = 5 x 7 = 35
Ø 5 x 3 + 5 x 4 = 15+20 = 35
Ø 5 x ( 3+5) = 5 x 3 +5 x 4  


प्राकृत संख्याओ पर योग संक्रियाए
जब समान वस्तुओ के दो संग्रहों को एक  साथ रख दिया जात है , तो नए संग्रह में वस्तुओ की कुल संख्या कैसे ज्ञात की जाए
मान लीजिये कि 2 गोलियों को 5 गोलियों के साथ मिलाया जाता है ,हम बच्चो को उनका योग करना दो विधियों से सिखा सकते है / एक विधि तो यह है कि दोनों संग्रहों  को एक साथ रख लिया जाए तथा मिश्रित संग्रह में गोलियों को गिन लिया जाय
( मान लीजिये 5 गोलियों ) वाला संग्रह को अखंड रख लिया जाए तथा दुसरे संग्रह से एक-एक करके उसमें गोलियां गोदी जाये जैसा की नीचे दिखाया गया है 

प्राकृत तथा पूर्ण  संख्याओ में योग के कुछ गुण
      a)    सम्व्वृत्ता का गुण :- दो प्राकृत / पूर्ण  संख्याओ   का योग  एक प्राकृत / पूर्ण संख्या  होता है  
     b)   क्रम विनिमेय गुण :-  p + q  = q + p जहाँ    p ,q  प्राकृत / पूर्ण संख्याए  है
     c)    सहचारी गुण :( p + q ) + r  = p +(q +r )  जहाँ  p, q , r   प्राकृत / पूर्ण संख्याए है
     d)   पूर्ण संख्याओ में योज्य तत्समक :-  पूर्ण संख्याओ के समूह में ,
4 + 0 = 0 + 4  = 4 होता है
इस प्रकार   p +   0 = 0+p = p ( जहाँ p कोई पूर्ण संख्या है )
अत: 0 ( शून्य ) को  पूर्ण संख्याओ का योज्य तत्समक कहते है 






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